मुकम्म़ल इश्क़ का किस्सा बना दो मेरे माज़ी को
फरेबी लोग आकर चार बाते जोड़ जाते हैं
मैं बीते हर कदम आँखों में अपना रब छुपाता हूँ
वो ज़ालिम बुतशिक़न शादाब बुत भी तोड़ जाते हैं
© Siddharth Priyadarshi
फरेबी लोग आकर चार बाते जोड़ जाते हैं
मैं बीते हर कदम आँखों में अपना रब छुपाता हूँ
वो ज़ालिम बुतशिक़न शादाब बुत भी तोड़ जाते हैं
© Siddharth Priyadarshi
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