Friday 17 June 2016

मुकम्म़ल इश्क़ का किस्सा बना दो मेरे माज़ी को
फरेबी लोग आकर चार बाते जोड़ जाते हैं
मैं बीते हर कदम आँखों में अपना रब छुपाता हूँ
वो ज़ालिम बुतशिक़न शादाब बुत भी तोड़ जाते हैं

© Siddharth Priyadarshi

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