Thursday 3 March 2016

उसके अरमानों की चीजे़ं, हैं उसकी फरमाइश में
मोल सको तो इश्क़ तुम्हारा, जीतेगा अज़माइश में

सपने हैं; बस कीमत इनकी अंधरों तक कायम है
खुली आँख पुतली पर ये, बिकते बीस या बाईस में

कैसे कैसे रंग चढ़े हैं, अशआरों की सोहबत में
कलम से नीले मोती गिरते, मकतों की पैदाइश में

© Siddharth Priyadarshi

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