मेरी तासीर से वाकिफ़ नहीं हो यार तुम मेरे
मैं जुगनूँ हूँ, अंधेरों में भी कितना साफ दिखता हूँ
मेरे अशआ़र रोशन हैं, मेरे हाथों की रोटी में
मैं लफ़्जों की द़ुकानो पर तभी शफ्फ़ाक बिकता हूँ
©Siddharth Priyadarshi
मैं जुगनूँ हूँ, अंधेरों में भी कितना साफ दिखता हूँ
मेरे अशआ़र रोशन हैं, मेरे हाथों की रोटी में
मैं लफ़्जों की द़ुकानो पर तभी शफ्फ़ाक बिकता हूँ
©Siddharth Priyadarshi
जे बात.! बहुत खूब...
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